एक दर्द एक माँ का
उस माँ का दर्द जो अपना एक बेटा कुछ महीनों पहले एक घटना में खो चुकी थी और एक बेटा प्रशासन की लापरवाही में क्या हम उस माँ के जख्मों को केवल कुछ पैसे से भर सकते है इस सब मे वो लोग कहि न कही जिम्मेदार है जिनको हम लोग अपने टैक्स से तनख्वाह देते ही कि वो अपना काम जिम्मेदारी के साथ करेंगे लेकिन सब उम्मीदों के विपरीत हो गया अब पता नही ये घटनाओ से हम लोग कितना सबक लेंगे लेकिन मुझे विश्वास है कि इन घटना से कुछ बदले या न बदले लेकिन उस माँ की पूरी जिंदगी ही बदल दी
क्या हुआ था उस दिन ये बात कोई नही जानता बस उस माँ से पूछो जिसकी पूरी दुनिया ही लूट गयी थी
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