When justice to Nirbhaya

Nirbhaya rape case which shook the whole nation, I remember that incident of 2012 even today, when I turned on the TV, this news made my heart and my countrymen cry, in which rape was done with the daughter of the country.  And then his murder which raised some questions in front of the country

 It was also learned from this that how responsible the police of our country's police capital is for its work, not only in the country but also in foreign countries, it started spoiling the image of India, the culture of which we teach people  It is that where the gods are worshiped, the gods reside there, where the women are insulted, where the demons live there. There is a lot of community inside India.  It is shame that when we could not protect the daughter of our country then what should the country do

 After this the system has made fun of that daughter's sacrifice

 Those poor people are not being hanged even after being sentenced to Fashi. Some country brokers wear the coat of law and obstruct the justice of the nation's daughter that in the right of those poor people, I would like to say to the police that if their daughter or  If everything had happened to one of their own, would they still have done the same

 I would like to apologize but I had to use such harsh things but I could not control my feelings as a writer.

 The country needs to make tough laws


निर्भया रेप केस जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया 2012 की वो घटना मुझे आज भी याद है सुबह जब टीवी ऑन किया तभी यही ख़बर मेरा और मेरे देशवासियों का दिल को रुलादने वाली घटना जिसमें खूब राजनीतिक रोटी सेकी गई देश की बेटी के साथ रेप और फिर उसकी हत्या जिसने देश के सामने कुछ प्रश्न खड़े कर दिया
इस बात से ये भी पता चल गया कि हमारे देश की पुलिस राजधानी की पुलिस अपने काम के प्रति कितनी जिम्मेदार है देश में ही नहीं विदेशो में भी ये घटना की बाते होने लगी भारत की छवि को खराब किया जिस देश की संस्कृति हम लोगो को सिखाती है कि जहा पर नारियों की पूजा होती है वहां पर देवता निवास करते है जहा पर नारियों का अपमान होता है वहां पर राक्षस निवास करते है इंडिया के अंदर काफी कम्युनिटी है हिन्दू मुस्लिम करती है शर्म आनी चाहिए जब हम अपने देश की बेटी की रक्षा नहीं कर पाए तो देश की क्या करने 
इसके बाद उस बेटी के बलिदान को मजाक बना दिया है सिस्टम ने 
उन दरिंदो को फाशी की सजा होने के बाद भी फांसी नहीं हो रही है कुछ देश के दलाल कानून का कोट पहन कर देश की बेटी के इंसाफ में बाधा डालते है कि उन दरिंदो के अधिकार में उन दल्लो से कहना चाहूंगा कि अगर उनके बेटी या फिर उनके किसी अपने के साथ ये सब कुछ हुआ होता तो क्या ये फिर भी यही करते
माफी चाहूंगा लेकिन मुझे इतने कठोर सब्दो का इस्तमाल करना पड़ा लेकिन में भी एक लेखक होकर अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाया
देश को कठोर काननू बनाने की जरूरत है




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